जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
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वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि shiv chalisa in hindi भेद नहिं पाई॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा more infoshiv chalisa lyricsl कर लीन बचाई॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥